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[Guest Post] अस्तित्व

अस्तित्व मेरे  होने   से ,   न   होने   से , मेरे  खोने   से ,   मेरे   मिल   जाने   से   … राह  पर   पड़े   हुए , खोटे  सिक्के   जैसे   , धीमें   -   धीमेँ   ,   घिस   -   घिस   कर   , ओझल  हो   जाने   से   … मरुधर  में   गर्द   जैसे दिख  कर   भी   न   दिख   पाने   से समंदर  में, एक मामुली  बूँद   जैसे लहरों  का   हिस्सा   बन बार   - बार     टकराने  से   … परवानों  जैसे, रात  भर , दिये  पर   मंडराकर , भस्म  हो   जाने   से   … जीने   - मरने   की   इस   बहस   में   , शब्दों  को   बेमतलब   बिखराने   से   … हर  पल   यूँ   मर - मर   कर, इन  किल्लतों   में   बिताने   से, क्या  भला   न   होगा   इस   हयात   का, मेरे  मर   जाने   से   … रिश्तों  की   इन   उलझनों   में   , घुट   - घुट   कर   सांसें   चुराने   से , उम्र  भर   का   समझा   हो   जिन्हे   , उनके  बिना   उम्र   गुज़ारने   से… खुद  की   जहाँ   कद्र   ही   न   हो, ऐसे  रिश्तों   को   निभाने   से, गुज़रे  लम्हों   को   जो   भुला   चुका   हो, याद  कर   उसे ,   दिल   दुखान